मुंबई - लॉक डाउन की वजह से देश के विभिन्न राज्यों में फंसे परप्रांतीय मजदूरों को उनके घरों में वापस भेजने के केंद्र सरकार के निर्णय के बाद जहाँ इन मजदूरों को राहत मिली है और इनके घर लौटने का रास्ता साफ़ हुआ है वहीँ दूसरी तरफ अपने घर जाने की आस पाले इन लोगों को आर्थिक तरीके से ठगा भी जा रहा है, मुंबई में कोरोना का हॉटस्पॉट बने धारावी में सरकार व पुलिस प्रशासन के द्वारा जारी किये गए पास की ज़ेरोक्स के लिए उन्हें ४० से ५० रूपए लिए जा रहे हैं वहीँ सही तरीके से भरने के बाद मेडिकल सर्टिफिकेट के लिए इनसे २०० रूपए प्रति व्यक्ति लिए जा रहे हैं , धारावी के ९० फीट रोड पर कई ऐसे डोक्टरों की क्लिनिक है जहाँ पर रविवार की दोपहर लम्बी कतारें देखी गयी जहाँ लोग मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाने के लिए कतारों में खड़े दिखे , वहीँ पूछताछ में ये पता चला की उनसे प्रति व्यक्ति २००-२०० रूपए लिए जा रहे हैं और सर्टिफिकेट दिए जा रहे हैं, उसके बाद इन्हें धारावी पुलिस स्टेशन जाकर इसे जमा करने को कहा जा रहा है, जिसके बाद धारावी पुलिस स्टेशन के बाहर भी कई परप्रांतीय मजदूर कतार में खड़े दिखे .इन सबके बीच सबसे महत्वपूर्ण बात ये दिखी की सोशल दिस्तान्सिंग का यहाँ आभाव देखा गया .बीते एक माह से भी अधिक समय से किसी तरह से दिन काट रहे मजदूर किसी तरह से अपने घर पहुँचने को बेताब हैं और उसके लिए वे इतनी परेशानी उठा रहे है. गौरतलब हो की धारावी मुंबई में कोरोना का दूसरा सबसे बड़ा हॉट स्पॉट है और बीते एक माह में यहाँ पर शनिवार की देर शाम तक मरीजों की संख्या ४९६ तक पहुँच गयी थी ,जिनमे से १८ लोगों की मौत हो गयी है . धारावी में लाखों की संख्या में परप्रांतीय मजदूर हैं जो अपने घरों को जाने के परेशान हैं ऐसे में उनसे अवैध तरीके से हो रही इस तरह की वसूली पर लगाम लगाते हुए इन्हें राहत दी जानी चाहिए और पुलिस प्रशासन को चाहिए की सभी का अच्छी तरह से जांच करके ही उन्हें उनके गाँव के लिए रवाना किया जाए. चूँकि अभी तक मेडिकल रिपोर्ट में जांच का पैमाना तय नहीं किया गया है पर यहाँ पर तो थर्मल स्क्रीनिंग और पूछताछ के आधार पर रिपोर्ट दिए जाने की जानकारी सूत्रों ने दी है.
परप्रांतीय मजदूरों से मेडिकल सर्टिफिकेट के नाम पर वसूले जा रहे हैं २००- २०० रूपए , क्लिनिक के बाहर लगी लम्बी कतारें