डिमेंशिया को समझना: शोध, समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण और मार्ग इसविषय आंतरराष्ट्रीय परिषद का आयोजन

 

मुंबई -मंगलवार, १२ अगस्त, २०२५ को डॉ. बी.एम.एन कॉलेज ऑफ होम सायन्स (स्वायत्त), श्रीमती मणिबेन एम.पी. शाह कला एवं वाणिज्य स्वायत्त महिला महाविद्यालय, समाजशास्त्र विभाग, 'आजी केयर सेवक फाउंडेशन' और  रूसा द्वारा प्रायोजित 'डिकोडिंग डिमेंशिया: शोध, समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण और मार्ग' विषय पर एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय परिषद का आयोजन किया गया । इस परिषद  का मुख्य भाषण लोकमान्य तिलक अस्पताल के मनोचिकित्सक डॉ. नीलेश शाह ने दिया ।  उन्होंने 'दादाजी, चलो स्कूल चलें' की अवधारणा पर प्रस्तुति दी और वरिष्ठ नागरिकों के लिए स्कूल शुरू करने और उस आधार पर विभिन्न गतिविधियों, जैसे फिजियोथेरेपी सत्र, कुछ शारीरिक और मानसिक संबंधी व्यायाम, और युवाओ से डिजिटल तकनीक सिखना अब समय की आवश्यकता बताई । आजी केयर सेवक फाउंडेशन के सीईओ श्री प्रकाश बोरगावकर ने संख्याओं और शुरुआती लक्षणों के संदर्भ में डिमेंशिया का अवलोकन और समझ प्रदान की। मनोचिकित्सक, न्यूरोसाइकियाट्रिस्ट और डिमेंशिया विशेषज्ञ डॉ. संतोष बांगर ने अपनी प्रस्तुति में डिमेंशिया को समझते हुए इसके विभिन्न कारणों और आहार, पैदल चलने के व्यायाम और आदतों को सरल तरीके से नियंत्रित करने के तरीके के बारे में बताया । प्राचार्य डॉ. अर्चना पत्की ने डिमेंशिया देखभाल और चिंता पर अपनी प्रस्तुति में उल्लेख किया कि परिवार और विशेष रूप से युवाओं को बुजुर्गों की भावनाओं को समझना चाहिए और यदि आवश्यक हो तो उनकी देखभाल करनी चाहिए । उन्होंने यह भी कहा कि यदि बुजुर्गों में व्यवहार संबंधी परिवर्तन दिखाई देते हैं, तो उन्हें नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए ।इस पहले सत्र के बाद, एक प्रश्नोत्तर सत्र आयोजित किया गया जिसमें डॉ. खलप ने डिमेंशिया पीड़ितों की देखभाल में परिवार की भूमिका के बारे में बताया, जैसे कि उनकी नियमित गतिविधियों, उनके आहार और उनके कमरे की व्यवस्था में कोई बदलाव न करना । श्री प्रसाद भिडे ने देखभालकर्ता की भूमिका के बारे में बताया और विश्वसनीय एजेंसी से देखभालकर्ता नियुक्त करने की सलाह दी तथा नियुक्ति के विभिन्न मानदंडों के बारे में भी बताया ।  अ‍ॅड. निर्मला सामंत प्रभावलकर ने कहा कि बच्चे अपने माता-पिता को नहीं छोड़ सकते और उन्होंने एमडब्ल्यूपीएससी अधिनियम, २००७ और मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम, २०१७ और विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, २०१६ पर विस्तृत जानकारी दी।अ


मेरिका से प्राजक्ता पडगांवकर ने दोपहर के भोजन के बाद के सत्र में भाग लिया । अपनी प्रस्तुति ‘होप फॉर अल्झायमर: ब्रेकथ्रू इन डायग्नोस्टिक अँड फ्युचर ऑफ अल्झायमर केअर’ में, उन्होंने मनोभ्रंश से पीड़ित लोगों की मदद करने वाले विभिन्न उपकरणों के बारे में जानकारी दी और उन्हें सक्रिय रहने की सलाह दी। अमेरिका से प्रो. मानसी पै ने भाग लिया । अपनी प्रस्तुति में, उन्होंने न केवल जीव विज्ञान बल्कि यह भी बताया कि जीवन हमें कैसे आकार देता है। उन्होंने बताया कि कैसे संज्ञानात्मक उम्र बढ़ने से कई जैविक तंत्रों के माध्यम से मस्तिष्क पर तनाव पड़ता है ।

परिषद में सेवा मंडल एज्युकेशन सोसायटी के कोषाध्यक्ष श्री अतुल संघवी, डॉ. बीएमएन गृह विज्ञान महाविद्यालय (स्वायत्त) की  प्राचार्य प्रो. डॉ. माला पांडुरंग, श्रीमती मणिबेन एम. पी. शाह, कला एवं वाणिज्य स्वायत्त महिला महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. अर्चना पत्की, समाजशास्त्र विभागाध्यक्ष एवं परिषद की समन्वयक डॉ. हिना शाह, 'आजी केयर सेवक फाउंडेशन' के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री प्रकाश बोरगांवकर शामिल हुए थे । एवं उपस्थित पदाधिकारीगण, गणमान्य प्राध्यापकगण, सभागाग एवं ऑनलाईन के माध्यम से जुड़े ३६५ विभिन्न महाविद्यालयों एवं संस्थानों के प्राध्यापकगण ।