लखनऊ: आल इंडिया मुस्लिम इंटेलेक्चुअल सोसाइटी (AIMIS) ने दारुल उलूम नदवतुल उलमा में *"उलेमा ए हाल (1858-1912)"* किताब के नए और संशोधित संस्करण का विमोचन किया। यह किताब 19वीं सदी के महान विद्वान हज़रत मौलाना मोहम्मद इदरीस नगरमी (रह.) ने लिखी थी, जिसमें 423 इस्लामी विद्वानों के जीवन और योगदान के बारे में बताया गया है। इन विद्वानों ने अपने दौर में इस्लामी शिक्षाओं की महान सेवा की, लेकिन आज के दौर में हम उनमें से अधिकतर को भूल चुके हैं।यह किताब पहली बार 1897 (1315 हिजरी)* में छपी थी। इस नए संस्करण में पुराने लेखों को आसान भाषा में पेश किया गया है ताकि आम लोग भी इसे समझ सकें।
इ
स किताब को लिखने का विचार दारुल उलूम नदवतुल उलमा के संस्थापक और अपने जमाने के मशहूर विद्वान *हज़रत मौलाना मोहम्मद मुंगेरी (रह.)* का था, जिन्होंने इस्लामी इतिहास को सहेजने की जरूरत महसूस की थी। उन्होंने ही मौलाना इदरीस नगरमी से इस किताब को लिखने का अनुरोध किया था।
खास बात यह है कि मौलाना इदरीस नगरमी (रह.) ने इस किताब में सभी धार्मिक विचारों और अलग-अलग नजरिये वाले इस्लामी विद्वानों का समान सम्मान के साथ जिक्र किया है। इसमें *शेख उल हिंद मौलाना महमूद उल हसन (रह.), आला हज़रत मौलाना अहमद रज़ा खान बरेलवी (रह.), हकीम उल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ अली थानवी (रह.) और हज़रत मौलाना अल्लामा शिबली नोमानी (रह.)* जैसी महान हस्तियों के जीवन के बारे में भी बताया गया है।
AIMIS के महासचिव डॉ. अम्मार अनीस नगरमी* ने इस नए संस्करण को तैयार किया है। उन्होंने कहा, "यह किताब हमारे अतीत और वर्तमान के बीच एक पुल का काम करेगी। इन महान लोगों की ज्ञान की बातों को फिर से जीवित करके हम भारत के इस्लामी इतिहास के एक अहम हिस्से को फिर से याद कर पाएंगे।"
इस कार्यक्रम की अध्यक्षता *दारुल उलूम नदवतुल उलमा के रेक्टर हज़रत मौलाना सैयद बिलाल अब्दुल हई हसनी नदवी* ने की। उन्होंने इस किताब को "अतीत और वर्तमान के बीच एक जरूरी कड़ी" बताया।
इस मौके पर दारुल मुसन्निफीन, आज़मगढ़ के मौलाना उमैर सिद्दीक नदवी के अलावा दारुल उलूम नदवतुल उलमा के कई बड़े विद्वान जैसे मौलाना खालिद गाजीपुरी, मौलाना मुफ्ती नियाज अहमद, मौलाना अम्मार हसनी और कई दूसरे लोग भी मौजूद थे।
यह किताब AIMIS की एक नई शृंखला की पहली कड़ी है, जिसका मकसद भारत की इस्लामी ज्ञान की विरासत को बचाना और नई पीढ़ी तक पहुँचाना है।
किताब अब दारुल उलूम नदवतुल उलमा, लखनऊ के *मजलिस-ए-तहकीक व नशरियात (रिसर्च और पब्लिकेशन विभाग)* से खरीदी जा सकती है।